Page 11 - Isha Upanishad
P. 11

īśopaniṣad



























                                    All this is for habitation by the Lord, whatsoever is individual





                           universe of movement in the universal motion. By that renounced





                                     thou shouldst enjoy; lust not after any man's possession.॥1॥






                                                                                                                                                       (Translation by Sri Aurobindo)








                                                                                                                                                                                    ्

                                                         ै
                                         इस व  ग त म, इस अ य त ग तशील सम  -जगत म जो भी यह   यमान

                                           ग तशील, वय  क जगत ह - यह सबका सब ई र क आवास क  लए ह।
                                                                            ै
                                                                                                                      ै
                                                                                                                                                                                          े
                                                                                                                                                                                                                                             ै
                                                                                                                                                                                                                        े
                                                                                                                ्
                                                                                                                                                                                              े
                                                                                                                                                                                                                                         े
                                        इस सबक  याग  ारा तझ इसका उपभोग करना चा हय;  कसी भी  सर क
                                                                  े
                                                                                                             े
                                                                                                       ु
                                                                                        धन-स    पर ललचाई     मत डाल।
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