Page 17 - Isha Upanishad
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īśopaniṣad



























                           One unmoving that is swifter than Mind, That the Gods reach not,





                        for It progresses ever in front. That, standing, passes beyond others





                            as they run. In That the Master of Life establishes the Waters.॥4॥




                                                                                                                                                                  (Translation by Sri Aurobindo)







                                                                                                                                                                 े
                                                                                                                             े
                                                                                                                                                                                                                                                      ै
                                                                                                                                                                                                                             े
                                                                                                                                                                       े
                                          वह अचल, अचलायमान एकमव    मन स वगव र, अ य धक वगवाला ह।
                                                                                                                                  ँ
                                                                                                                                                     े
                                                                                                                                                                                                                                     े
                                              उस एकमव तक दवता नह  प च पात,  य  क वह सदव उनस आग-आग                                                                                                                                                    े
                                                                                                                                                                                                 ै
                                                                                                े
                                                                                                                                                                                                                      े
                                                                         े
                                                                                                                                                                                                                                  े
                                             प च जाता ह। वह ठहरा  आ भी दौड़त  ए  सर  को पार कर आग  नकल
                                                      ँ
                                                                                                                                                        े
                                                                                 ै

                                                                                             ्
                                               जाता ह। उस तत म जीवन-श   का  वामी वाय जलधारा  को  ा पत
                                                                                                                                                                                 ु
                                                                    ै

                                                                                                                                     करता ह।
                                                                                                                                                           ै
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