Page 41 - Isha Upanishad
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īśopaniṣad
O Fosterer, O sole Seer, O Ordainer, O illumining Sun, O power of
the Father of creatures, marshal thy rays, draw together thy light; the
Lustre which is thy most blessed form of all, that in Thee I behold.
The Purusha there and there, He am I.॥16॥
(Translation by Sri Aurobindo)
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ह पोषक, ह एकमा ा, ह वधाता एव नय ता, ह काशदाता सय, ह जाप त क
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( ा णय एव जा क पता क ) श ! अपनी करण को हब एव व त
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कर, अपन काश को एक एव प ीभत कर ल जो तज तरा सबस अ धक
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क याणकारी प ह, तरा वही प म दखता । वहा, वहा जो प ष ह वही म।
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